• यह कैसा आ गया है मंजरभय का माहौल है सीने के अंदरघर में विचित्र सन्नाटा हैअगर निकलो बाहर तो बाधा है धरती ख़ामोश पथराई हैघनघोर उदासी छायी हैजीव जंतु पक्षी पेड़ सब पुछ रहेमानव क्यूँ हमें तुम भूल गए कब मनुष्य जिया ऐसा अकेला थाचारों तरफ़ उसके तो मेला थाभाई से भाई दूर हुएनियति के Read.