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साथ चल रहे थे एक राह पर,तुम चले गए यूँ मूँह मोड़ कर,सोचा नहीं, क्या बीतेगी मुझ पर,निकल लिए यूँ अकेला छोड़ कर । माना जाने की ज़िद थी बहुत,थोड़ी दूर और सही, साथ चले आते,कुछ मैं कहता, कुछ तुम कहते,चलते चलते दूर कहीं निकल जाते । बातों बातों में शायद पता चलता,हँस के भी, Read.